Bhagat Singh Biography in Hindi | भगत सिंह का जीवन परिचय

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भगत सिंह का जीवन परिचय , इतिहास । Bhagat Singh Biography in Hindi

भारत को आजाद कराने में किसी एक ही व्यक्ति की भूमिका नहीं रही है उस समय हमें अनेक स्वतंत्र सेनानी देखने को मिले थे | सभी स्वतंत्र सेनानी अलग-अलग प्रकार के होते थे लेकिन उनकी सोच एक ही होती थी |कि बस देश को आजाद करना हालांकि हमारा देश 1950 में आजाद हो गया|

लेकिन आज जब हम 15 अगस्त बनाते हैं| तब ही उन्हें याद करते हैं अन्यथा हम सब उन्हें भूल से गए आज आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो भगत सिंह को ढूंढते ढूंढते हमारे ब्लॉक पर आए हैं .तो आज हम भी आपको भगत सिंह के पूरे जीवन के बारे में बताने वाले है|

भगत सिंह का जीवन परिचय(Biography of Bhagat Sing)

Real Name Bhagat Singh Sandhu
Nick Name Bhagaan Wala (Good Luck)
Birthday 28 September 1907
Birth Place Banga, Punjab, British India
(now in Punjab, Pakistan)
Age 23 (at the time of death)
Date of Death 23 March 1931
Place of Death Lahore, Punjab, British India
Death Cause death sentence
Education Bachelor of Arts (BA)
School Dayanand Anglo-Vedic High School
College National College
Citizenship Indian
Hometown Lahore, Punjab, British India
Religion Sikhism
cast  _ Jat
Zodiac Libra
Eye Color Black
Hair Color Black
Occupation Indian revolutionary freedom fighter
Marital Status Single

भगत सिंह का जन्म (Birth of Bhagat Singh)

सीने में जुनून आंखों में चमक रखता हूं,दुश्मन की सांसे थम जाए आवाज में वह दम रखता हूं | कुछ यूं ही थे हमारे आजाद भगत सिंह अब आपको मैं भगत के बारे में जितना बताऊं उतना कम है क्योंकि वह एक ऐसे लेजेंड थे | जो एक पुराने जमाने के होते हुए | आजकल के लोगों ने अपना आइडल मानते हैं यही वजह है कि भगत की मेहनत आज हमें नजर आती है|

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को बंगा, पंजाब, ब्रिटिश भारत (अब पंजाब, पाकिस्तान में) में हुआ था लोग उन्हें प्यार से भागां वाला के नाम से भी जानते हैं |

 भगत सिंह की मृत्यु और कारण(Death and Cause of Bhagat Singh)

भगत सिंह एक ऐसे स्वतंत्र सेनानी है जिन्होंने कम उम्र में ही बहुत ही बड़ा नाम कमा लिया था जो आज तक शायद ही किसी ने कमाया है भगत सिंह मात्र 23 साल की उम्र में देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे|

भगत सिंह की मृत्यु का कारण(Cause of death of Bhagat Singh)

भगत सिंह और उनके दो स्वतंत्र सेनानी साथियों राजगुरु,सुखदेव के साथ फांसी दी गयी थी |क्योंकि उन्होंने असेम्बली में बम फेंका था जो कि उस वक्त ब्रिटिश गवर्नमेंट के कानून के खिलाफ था| और बहुत से लोगों कि जान जा सकती थी। अगर भगत सिंह चाहते तो वह वहां से फरार हो सकते थे और अपनी जान बचा सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया उन्होंने अपनी ईमानदारी का परिचय दिया और अपनी देशभक्ति को दिखाएं और 23 मार्च 1931 में उन तीनों देशभक्तों को फांसी दे दी गयी।

भगत सिंह का परिवार(Bhagat Singh’s family)

भगत सिंह एक ऐसे परिवार से संबंध रखते थे| जो अपने देश से प्यार करता था और सौभाग्य है उस परिवार का जिन्होंने वक्त सिंह जैसे बेटे को अपने देश के लिए कुर्बान होने दिया|

अगर भगत सिंह के परिवार की बात करें तो भगत सिंह के पिता जी का नाम किशन सिंह था जो कि एक किसान हुआ करते थे उनकी माता जी का नाम विद्यावती कौर था | इसके अलावा भगत सिंह के पांच भाई भी थे .जिनका नाम-कुलतार सिंह, कुलबीर सिंह,,राजिंदर सिंह, जगत सिंह,एवं रणबीर सिंह था. इसके अलावा भगत सिंह के तीन बहने भी थी जिनका नाम बीबी प्रकाश कौर, बीबी अमर कौर,एवं बीबी शकुंतला कौर था|

भगत सिंह का परिवार काफी लंबा-चौड़ा था वे टोटल 10 बहन भाई थे| लेकिन उनके परिवार में सब भगत सिंह से काफी प्यार करते थे |

भगत सिंह की शिक्षा (Education of Bhagat Singh)

भगत सिंह पढ़ाई लिखाई में काफी होशियार हुआ करते थे उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लाहौर से प्राप्त की लेकिन उनके पिताजी महात्मा गांधी के बड़े समर्थक थे जिसके कारण देश में उस वक्त चल रहे सरकारी संस्था के बहिष्कार के कारण उनको 13 साल की उम्र में ही स्कूल छोड़ना पड़ा |

जिसके बाद उन्होंने लोहार में स्थित नेशनल कॉलेज में एडमिशन लिया जहां पर उन्होंने कई स्वतंत्र सेनानी प्रतियोगिताओं में भाग लिया जहां पर भी एक स्वतंत्र सेनानी का और देश को आजाद कराने का रोल किया करते ,यहीं से उनको देश की आजादी का जुनून हुआ|

महात्मा गांधी को किताबें पढ़ने का काफी शौक था अलग-अलग प्रकार की किताबें पढ़कर ज्ञान प्राप्त किया करते थे वे जब 21 साल की थी उन्होंने लगभग 80 से ज्यादा किताबें पढ़ ली थी| जो उस वक्त बड़ी किताबे थी|

शहीद भगत सिंह की स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी(Participation in the freedom struggle of Shaheed Bhagat Singh:)

भगत सिंह जब अपने कॉलेज के दिनों में भारत पर हो रहे अत्याचारों के बारे में पढ़ते थे तो उनका खून खोलता था जिसके बाद भगत सिंह ने यूरोप राष्ट्रवादी आंदोलन के बारे में पड़ा जिससे वह काफी प्रेरित हुई जिसके बाद उन्होंने इस चीज से प्रेरित होकर 1925 में राष्ट्रीय आंदोलन के लिए नौजवान भारत सभा का निर्माण किया |

जिसके बाद नौजवान भारत सभा हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में मिल गया | जहां पर उनकी मुलाकात देश के कई बड़े स्वतंत्र सेनानियों से हुई जिनमें सुखदेव राजगुरु चंद्रशेखर जैसे व्यक्ति थे|

भगत सिंह के परिवार ने जब उनकी शादी के लिए पूछा तो भगत सिंह ने इससे इनकार कर दिया| और वे पूरे जन्म से देश भक्ति के लिए झूठ जुट गए| उन्होंने किसानों के ऊपर हो रहे आंदोलन के लिए किसान आंदोलन पत्रिका में अपना योगदान दिया|

भगत सिंह के स्वतंत्र सेनानी संस्था में जुड़ने के बाद उनका प्रचलन बड़ी संख्या में प्रचलन बढ़ गया| जहां पर वे ब्रिटिश पुलिस के रडार में आ गए| इसके बाद 1927 में भगत सिंह को ब्रिटिश गवर्नमेंट द्वारा गिरफ्तारी का वारंट निकाल दिया गया इसके बाद भगत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन भगत सिंह वहां से कुछ पैसे देकर जमानत पर आ गए|

लेकिन भगत सिंह उन व्यक्तियों में से थे जो बस ठान चुके थे कि अब बस देश को आजाद कराना है| उनके मन से गिरफ्तारी ,पुलिस ,ब्रिटिश गवर्नमेंट, जैसे लोगों का डर निकल चुका था वहीं से बहुत आगे आ चुके थे जेल से तुरंत निकलने के बाद वह फिर से शुरू हो गए|

1927 में जेल से निकलने के बाद उन्होंने कई अखबार पत्रिकाओं में काम किया जिसके लिए उन्होंने कई भाषाएं जिम में उर्दू अंग्रेजी हिंदी में भी योगदान दिया| और एक से बढ़कर एक पत्रिकाओं में अंग्रेजों के बारे में लिखे जा रहे थे|

भगत सिंह लगातार एक से बढ़कर एक ऊंचाइयों पर आते जा रहे थे जिसके बाद कई नेता उनसे मिल गए| 1926 में भगत सिंह ने नौजवान भारत सभा का गठन किया जहां पर उन्होंने सभी किसानों और मजदूरों को एकत्र किया और ब्रिटिश शासक और उनके रूल्स के खिलाफ उनको क्रांति के लिए प्रोत्साहित किया|

चंद्रशेखर का कारवां धीरे-धीरे आगे बढ़ता जा रहा था 1928 में उन्होंने सुखदेव, चंद्रशेखर और भी अन्य लोगों को अपने साथ लेकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ( HSRA ) का गठन कर दिया| और वे अपने क्रांति की तरफ एक कदम और आगे बढ़ गए|

जॉन सॉन्डर्स की हत्या (murder of john saunders)

भगत सिंह और उनके साथी 1928 में एक विरोध प्रदर्शन कर रहे थे जहां पर उस वक्त लाहौर के पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट ने उन पर लाठीचार्ज के आदेश देती दे दी जहां पर उनके कई लोग घायल हुए लेकिन उनके प्रमुख सेनानी लाला लाजपत राय के लाठी चार्ज के दौरान अधिक घायल हो गए | जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई|

भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी समर्थक लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए एक संगठन का निर्माण किया. लेकिन गलती से गोली जेम्स स्कॉट के पहरेदार सहायक जॉन सॉन्डर्स को गोली लग गई जिससे उसकी मृत्यु हो गई|

लेकिन भगत सिंह ने फिर से अपने आंदोलन को अंजाम दिया और वे इसमें सफल भी रहे|

चन्नन सिंह की हत्या(Murder of Channan Singh)

भगत सिंह और उनका ग्रुप जॉन सॉन्डर्स की हत्या से काफी घबरा गया और वे वहां से भाग निकले लेकिन जब उनका ग्रुप भाग रहा था तब उनका पीछा पुलिस एक हेड कांस्टेबल चानन सिंह करने लगे| कब भगत सिंह ने अपने ग्रुप को बचाने के लिए चानन सिंह पर गोली चला दी जिससे उनकी मृत्यु हो गई|

 भगत सिंह पुलिस से कैसे बच निकला (How Bhagat Singh escaped from the police)

चन्नन सिंह और जॉन सॉन्डर्स की हत्या के बाद भगत सिंह के ग्रुप को पुलिस जोरों शोरों से ढूंढने लगी और उनके नाम पर कई वारंट निकल चुके थे जगह-जगह पर पोस्टर लगा दिए गए थे| पुलिस ने भगतसिंह और उनके ग्रुप को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर संगठन का निर्माण किया और जगह-जगह छापेमारी करने लगे उनके लिए सीआईडी संगठन का निर्माण भी किया गया जो जगह जगह पर लोगों पर ध्यान रख रहे थे| ब्रिटिश गवर्नमेंट को भगत सिंह चाहिए थे|

भगत सिंह और उनके साथी अगले 2 दिन तक छिपे रहे जिसके बाद उनकी मुलाकात एचएसआरए के एक अन्य सदस्य की वाइफ से हुई | जिनका नाम दुर्गावती था| दुर्गावती ने भगत सिंह की काफी सहायता की और उन्हें फरार करने में उनका योगदान रहा | जहां पर दुर्गावती और भगत सिंह ने प्लान बनाया कि वे लाहौर से बठिंडा जाने वाली ट्रेन के रास्ते भागेंगे|

अगली सुबह भगत सिंह और और राजगुरु दोनों हाथ में रिवाल्वर लेकर सुबह की अंग्रेजी पोशाक पहनकर दुर्गावती के पति बनकर उनके बच्चे को लेकर जाने लगे साथ ही राजगुरु नौकर के रूप में उनका सामान पीछे से लाते रहे|

भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और दुर्गावती ट्रेन में बैठ गए जहां पर राजगुरु बनारस के लिए निकल गए जबकि भगत सिंह और दुर्गावती हावड़ा के लिए रवाना हो गए|

कुछ समय बाद मामला शांत होने के बाद भगत सिंह वापस से लोहार लौट आए|

सेंट्रल असेंबली बॉम्बिंग केस(Central Assembly Bombing Case)

 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और उनके अन्य साथी ने मिलकर दिल्ली के सेंटर असेंबली में बम फेंक दिया और साथ ही उन्होंने कुछ क्रांतिकारी पर्चे भी फेंके तथा नारे भी लगाए हालांकि उनके बम फेंकने के दौरान किसी को कोई भी आसान नहीं हुआ|

उनका उद्देश्य किसी को भी नुकसान पहुंचाना या शारीरिक नुकसान पहुंचाना नहीं था उनका उद्देश्य सिर्फ जो लोग क्रांति में हिस्सा नहीं दे रहे थे उन बहरो को सुनाना था |

जिस वक्त भगत सिंह ने बम फेंका था उस वक्त होल में मोतीलाल नेहरू सरदार वल्लभभाई पटेल,, मुहम्मद अली जिन्ना, मदन मोहन मालवीय, जॉन साइमन व अन्य लोग शामिल थे|

बम फेंकने के बाद भगत सिंह ने अपने आप को गिरफ्तार भी करा लिया उन्होंने अपनी गिरफ्तारी इस कारण कराई कि वे लोगों को जागरूक करना चाहते थे|

इस मामले में भगत सिंह और उनके अन्य साथी को गिरफ्तार कर लिया गया जिनका नाम बटुकेश्वर दत्त था| मामले का मास्टरमाइंड भगत सिंह को ठहराया गया तथा दोनों के खिलाफ मई 1929 में कार्रवाई शुरू हुई जहां पर दोनों को आजीवन कारावास की सजा दे दी गई|

भगत सिंह की भूख हड़ताल(Bhagat Singh’s hunger strike)

भगत सिंह ने एक ही नहीं कई आंदोलन किए थे ,सॉन्डर्स और चानन की हत्या के बाद उनके कुछ साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया | उनको गिरफ्तार कराने में उन्हीं के ग्रुप के 2 सदस्य शादी लाल और दूसरा था शोभा सिंह शामिल थे जिन्होंने अपने साथियों के खिलाफ पुलिस को बयान दे दिया|

इसके बाद भगत सिंह पर 2 केस लग चुके थे एक तो सॉन्डर्स और चानन सिंह का और दूसरा असेंबली बम मामले का जहां पर दोनों पर ही भगत सिंह की कार्रवाई चल रही थी इसके बाद भगत सिंह को उन्हें दिल्ली जेल से सेंट्रल जेल मियांवाली भेजा गया था|

जिस जेल में भगत सिंह को गिरफ्तार किया गया था वहां पर उन्होंने यूरोपीय अंग्रेजों और भारतीय कैदियों के बीच में काफी भेदभाव होते देखा जहां पर उन्हें खाने की क्वालिटी कैदियों के साथ व्यवहार को लेकर भी काफी निराश हुए जिसके साथ उन्होंने भूख हड़ताल को शुरू कर दिया|

यह भूख हड़ताल जरूर छोटी शुरू हुई थी लेकिन यह अब विकराल रूप धारण कर ली थी जिससे ब्रिटिश सरकार काफी डर गई थी| जिसके बाद उन्होंने सभी कैदियों की जेल को उठाया अलग अलग कर दी सभी को अलग-अलग खाना दिया गया|

पानी की जगह मटको में दूध को भर दिया गया, जिससे कैदी प्यास के मारे दूध पी ले और वे अपना भूख हड़ताल तोड़ दे लेकिन भूख भगत सिंह हार नहीं मानी उन्होंने लगातार 113 दिन तक भूख हड़ताल को अंजाम दिया जिससे उनके शरीर का वजन 64 किलो ही रह गया|

भूख हड़ताल के दौरान भगत सिंह व उनके अन्य साथियों ने दम भी तोड़ दिया जिनमें जितेंद्र नाथ दास जतिन्द्र नाथ दास 63 दिन तक भूखे रहे लेकिन उनकी हालत खराब हो गई जिससे उनकी मृत्यु हो गई तब उस समय भारत के अन्य बड़े नेताओं ने उनको श्रद्धांजलि दी|

भगत सिंह के भूख हड़ताल से सारा सिस्टम हिल चुका था यहां तक कि पॉलिटिक्स पार्टियां भी अब भगत सिंह के समर्थन में आ चुकी थी उस समय मोहम्मद आलम , गोपी भार्गव विरोध में पंजाब विधानपरिषद से इस्तीफा दे दिया, नेहरू ने लाहौर कैदियों के “अमानवीय व्यवहार” के खिलाफ विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया।

भगत सिंह के लगातार भूख हड़ताल के बाद कांग्रेस पार्टी ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया | और 116 दिनों के बाद 5 अक्टूबर 1929 भगत सिंह को सफलता हासिल हो गई जिसके बाद भगत सिंह की प्रचलन था और भी बढ़ गई|

भगत सिंह एक ऐसे आदमी के जो हमेशा अपने समय को कीमती मानते थे वे जेल में भी कई पुस्तकें लिख चुके थे|

शहीद दिवस कब मनाया जाता है ?(When is Martyr’s Day celebrated?)

भगत सिंह ने हमारे देश के लिए काफी प्रयास किए| और उन्होंने कई आंदोलन में अपना सक्रिय भूमिका निभाई 23 मार्च को भगत सिंह को फांसी हुई उसी दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है|

भगत सिंह की मृत्यु ( Bhagat Singh Execution )

भगत सिंह पर कई केस लग चुके थे जिनमें सॉन्डर्स और चानन सिंह का और दूसरा असेंबली बम मामले का जहां पर दोनों पर ही भगत सिंह की कार्रवाई चल रही थी |

अंत में भगत सिंह और उनके दो साथी राजगुरु और सुखदेव के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चला जहां पर मुकदमा एकतरफा रहा और भगतसिंह और उनके दोनों साथियों को मौत की सजा दे दी गई|

भगत सिंह की फांसी का विरोध कई नेताओं ने किया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और इसका कोई भी फायदा नहीं हुआ|

24 मार्च 1936 को लोहार के एक जेल में भगत सिंह और उनके दोनों साथियों को फांसी दे दी गई फांसी के बाद उनके शरीर को गंडा सिंह वाला गांव मैं गुप्त रूप से अंतिम संस्कार कर दिया गया|

और राख को सतलुज नदी में फेंक दिया गया |

FAQ

Q : शहीद भगत सिंह कौन थे ?

Ans : भारत के क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी

Q : शहीद भगत सिंह के कितने भाई थे ?

Ans : 5

Q : भगत सिंह का जन्म कब हुआ ?

Ans : 27 सितम्बर 1907

Q : भगत सिंह की मृत्यु कब हुई ?

Ans : 23 मार्च, 1931

Q : भगत सिंह की मृत्यु का कारण क्या था ?

Ans : फांसी की सजा

Q : शहीद दिवस कब मनाया जाता है ?

Ans : 24 मार्च

PRADEEP saini

Hi.. .I Am Pradeep Kumar Saini, I am from Jaipur, Rajasthan. I have been working in blogging since 2020, where I like to Write About Cricket, Technology, Blogging, SEO, WordPress, Designing, Development, Biography And other latest news among you people through my different websites. I like content writing a lot. Apart from blogging, I am also interested in doing other online internet work.

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